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70 Years of Indian Years of Indian
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ब मैं इंगिैंड जाता हूं तब मुझे पहिा ख्याि ्यह आता है वक ्यह िर हमारे अंग्ेरों ने ह् वहंद्तावनयों ्पर शासन वकया
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गुजरात राज्य से थोड़ा ही बड़ा है और हमारे आंध्र प्िर राज्य से तो ्ोटा
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ज है। िो भी ह् वहंद्तावनयों की ्दद से ही। यही
उस ि्त इंगिैंड की आबािी 5 करोड़ थी और भारत की 36 करोड़। िोनों िरों के वििबना है। इस अंतर को ही स्झना होगा।
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बीच करीब पांच हजार मीि का अंतर है।
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उस ि्त िाहन व्यिसथा भी इतनी सुविधाजनक नहीं थी वफर भी ्यह िर हमारे िर कीमत होती है। अगर आप उसे उसकी कीमत चुका िें तो िे आपका काम करना रुरू
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पर 190 साि तक रासन कैसे कर सका? कर िेंगे।’ रॉबट्ट ्िाइि ने ्यह वसफ्फ नोट नहीं वक्या इस पर अमि भी रुरू कर वि्या।
इवतहास में मुझे वििचसपी है इसविए इंगिैंड के बारे में मैंने जानने का प््यास वक्या। 1757 में जब ्िासी का ्युद्ध हुआ तब ्िाइि ने बंगाि के निाब वसराजुद्ौिा
्यहां Briton नाम की जावत रहती थी, इसीविए इसका नाम Britain पड़ा। Anglo के मामा मीरजाफर को 2 िाख 36 हजार पाउंड की ररशित िी और साथ में बंगाि की
Saxon जावत जो बाहर से आकर ्यहां बसी थी, ्यह जावत इस िर को Anglo land राजगद्ी का िािच भी। मीरजाफर के साथ जगतसेठ, अमीचंि और वसराजुद्ौिा के कई
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कहती थी,तो इस पर इस िर का नाम England पड़ा। अधवकारी भी रावमि थे।
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पूि्श में वरिटन, पन्शचम में ि्स और उतिर में सकॉटिैंड, ्यह तीनों वमिकर ग्ट वरिटन एक िाख सैत््य बि के साथ वसराजुद्ौिा जंग के मैिान में आ पहुंचा और
(Great Britain) बना। जब आइसिैंड (Iceland) का उतिरी भाग इसमें जोड़ वसफ्फ ्: हजार के िशकर के साथ सेनापवत ्िाइि भी आ पहुंचा। जंग रुरू होते ही
वि्या ग्या तब बना U.K.(United Kingdom) वसराजुद्ौिा का आधा िशकर ्िाइि के िशकर के साथ वमि ग्या। पररणाम िही आ्या
मैं जब Cambridge ग्या तब मुझे मािूम हुआ वक रोमन सम्ाट जुिव्यस सीजर जो िरद्ोवह्यों ने सोचा था । वसराजुद्ौिा को ररणागवत काे सिीकार करना पड़ा। ्िाइि
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ने इंगिैंड पर आक्रमण करके उसे जीत वि्या था और करीब 400 साि तक वरिटन पर ने वफर से अपनी डा्यरी में विखा ‘वसफ्फ एक-एक कंकर मारा होता वहविओं ने तो भी मर
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रोमनों की हुकूमत रही। A.D. 400 के बाि रोमन साम्ाज्य की हुकूमत का अंत हुआ। जाएं इतने ही हम अंग्ज िहां थे। मगर ताज्ब की बात है इस िर ने ररणागवत सिीकार
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आज की घड़ी में रोमन अंक विखाई िेते हैं, ऊंचे-ऊंचे वपिस्श पर बनाए गए महाि्य, की।’ इस तरह ्ि-प्पंच से रॉबट्ट ्िाइि ने वरिवटर साम्ाज्य की नींि डािी, इसके बाि
स्ानागार, बगीचे, रासते सबसे पहिे रोमनों ने बनाए िे रासते जमीं से थोड़छे ऊंचे बनाते थे जो गिन्शर जनरि आए िॉरेन हेन्सटगस, िॉड्ट ििेजिी ओर िॉड्ट डिहौजी, उत्होंने पूरे
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और इसे High Way कहते थे आज भी हम हमारे रासतों को High Way कहते हैं। भारत पर क्जा जमा वि्या। पूरे वहिुसतान पर वरिटन का झंडा िहराने िगा। वहिी जिानों
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आज भी इंगिैंड में Roman wall, Roman Church, Bridge, Forts िगैरह की भतशी करके अंग्जों ने आमशी की रचना की। वहविओं से ही पुविस िि का वनमा्शण वक्या।
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खंडहर के रूप में रोमन साम्ाज्य की ्याि वििाते हुए विखाई पड़ते हैं। जॉन मैकािे की वरक्ण प्णािी से भारत का कारोबार चिाने के विए अंग्जी जानने िािे
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इवतहास के बाि मैंने East India Company के बारे में जानने का प््यास वक्या। कम्शचारी भी वमिने िगे।
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300 व्यापारी ििन में 31 विसंबर, 1599 के विन भारत में व्यापार करने के उद्श्य भारती्य सितंत्रता संग्ाम के सत्याग्वह्यों पर, क्रांवतकारर्यों पर, समाज सेिकों पर
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से एकवत्रत हुए। Queen Elizabeth ने 1600 ई. में कंपनी के विवखत करारनामे िाठी चाज्श करने िािे अत्याचार करने िािे, कारागृह में बंिी बनाने िािे कौन थे?
‘Deed’ पर हसताक्र वकए और East India Company की सथापना हुई। हमारे ही िरिासी थे। वहिी थे, वहिुसतानी थे। अंग्जों की कूटनीवत से वहविओं से
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कंपनी 1600 ई. में भारत आई। अंग्जों की तरह िूसरे िरों के व्यापारी भी भारत में वहिी िड़ते रहे । वहिी मरते रहे, वहिी हारते रहे। वहविओं का िहू बहता रहा और वरिवटर
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व्यापार करने के विए उतसुक थे, जैसे वक पुत्शगाि, फांस, हॉिैंड। साम्ाज् ्य का विसतार बढ़ता रहा........... अफसोस बस ्यही है...
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अंग्जों ने भारत में आकर ्यहां के िोगों के बारे में जानने और समझने की कोवरर बदल के फफोल जल उठे,
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की। रॉबट्ट ्िाइि कंपनी का गिन्शर था। ्िाइि ने अपनी डा्यरी के पहिे नोट में सरीन करी आग स यह।
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विखा वक ‘इंवड्या के िोग जो तत्खिाह िेता है, उसके िफािार रहते हैं। अपने िर घर हरी सारा जल गया,
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के नहीं।‘ िूसरे नोट में ्िाइि ने विखा, ‘्यहां के कु् िोग ऐसे भी हैं वजनकी एक घर के बिराग स।।
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